एक अनार सौ बीमार
साइबर सिटी गुरुग्राम में आसमान छूती जमीन की कीमतों के चलते करीब 400 करोड रुपए का मुआवजा पाने के लिए 13 लोगों ने दावेदारी पेश की है जिनमे से छह दावेदार एक ही नाम के है , एक दावेदारी बेटे के नाम से है और छह अन्य के पास जमीन के एग्रीमेंट है | सभी ने खुद को असली बताते हुए मुआवजे का हकदार बताया है यह सभी 6 चरणजीत सिंह और बाकी के सात दावेदार देश के अलग-अलग राज्यों के रहने वाले हैं और 8 एकड़ जमीन का मुआवजा लेने के लिए राजस्व विभाग के पास पहुंचे हैं | मामले का खुलासा एक RTI एक्टिविस्ट द्वारा किये जाने के बाद इन सभी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने जांच शुरू कर दी है
बॉलीवुड की फिल्मों में दो हमशक्लो की कहानियां अक्सर देखने को मिलती है वास्तविक जिंदगी की इस अनोखी कहानी के पात्र शक्ल से बेशक जुदा है लेकिन गुरुग्राम में 400 करोड़ रूपये का जमीनी मुआवजा पाने के लिए एक ही नाम चरणजीत सिंह के छह दावेदार सामने आये है ख़ास बात यह है की उन सभी ने पिता का नाम नंद सिंह रेखी और मां का नाम मंजीत कौर रेखी बताया है | कई दावेदारों ने तो अपनी वंशावली भी एक ही दर्शाई है | इन छह चरणजीत के अलावा सात अन्य दावेदार भी मुआवजा राशि पर हक जमाने के लिए सामने आये है जिनमे एक चरणजीत का बेटा और बाकी के छह चरणजीत के साथ एग्रीमेंट वाले है | यह सारा वाक्य जब RTI एक्टिविस्ट रमेश यादव द्वारा जब राजस्व विभाग के अधिकारियों के समक्ष आया तो वे भी चकरा गए |
दरअसल 6 चरणजीत उस समय सामने आए जब दिल्ली गुरुग्राम एक्सप्रेसवे के साथ लगती करीब नौरंगपुर गांव की 8 एकड़ जमीन का मुआवजा चरणजीत सिंह के नाम अवार्ड हुआ इस जमीन का कुछ हिस्सा नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया और शेष प्रदेश सरकार ने ट्रांसपोर्ट जोन बनाने के लिए 2013 में अधिकृत किया था जमीन के मालिक यानी चरणजीत सिंह पुत्र नंद सिंह को इसके लिए 44 करोड़ 1 लाख 33 हज़ार रुपए मुआवजे का भुगतान किया जाना था लेकिन चरणजीत सिंह किसी कारणवश मुआवजा राशि नहीं ले पाए और समय बीतने के साथ मुआवजा बढ़ोतरी और ब्याज के चलते यह रकम करीब 400 करोड रुपए हो गई है | शुरू में तो काफी दिनों तक मुआवजे पर किसी ने दावा नहीं किया लेकिन बाद में अचानक एक के बाद एक छह चरणजीत सिंह बनकर और एक बेटा बनकर व् छह अन्य दावेदार सामने आए | भूमि अधिग्रहण अधिकारी ने इन्हें अपने समक्ष प्रस्तुत होने के लिए कहा तो कई चरणजीत सिंह पहुंच गए विवाद बढ़ा तो मामला अदालत में पहुंच गया
वर्ष 2018 से यह मामला असली चरणजीत सिंह की पहचान के लिए अदालत में चल रहा है और अगली सुनवाई 7 जुलाई को होनी है इस बीच 6 और चरणजीत सिंह सामने आ गए है और उन्होंने भी मुआवजे को लेकर दावेदारी पेश कर दी है वही नकली चरणजीत सिंह का आईडी कार्ड बनाकर सभी मुआवजा हड़पना चाहते है आरटीआई एक्टिविस्ट की अधिकार मंच नामक संस्था के सदस्य रमेश यादव ने पूरे विवाद की अपने स्तर पर छानबीन के बाद सीएम विंडो पर शिकायत की उसके बाद पुलिस कमिश्नर मोहम्मद अकील के हस्तक्षेप से सेक्टर 37 थाने में कादीपुर तहसील की शिकायत पर सभी दावेदारों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई है जिनमे 7 लोगों के नाम जोड़े गए हैं वहीं इस मामले में एसीपी सत्यपाल यादव का कहना है कि जल्द ही सभी को तफ्तीश में शामिल कर असली दावेदार का पता लगाया जाएगा ।
दिल्ली के ग्रेटर कैलाश के रहने वाले चरणजीत सिंह नामक सिख ने यह 8 एकड़ जमीन 1980 में खरीदी थी बताया जाता है कि कुछ ही समय बाद उनकी मौत हो गई उनके वारिस कंहा और कौन है इसके बारे में किसी को जानकारी नहीं है सूत्र बताते हैं कि 1984 के दंगों में उनकी मौत के बाद उनका परिवार विदेश जा बसा था और कभी लौटकर नही आया इस जमीन की एक बार फर्जी रजिस्ट्री किए जाने की भी जानकारी सामने आई है इस पूरे प्रकरण में कई नेताओं व उच्च ओहदे वाले प्रशासनिक अधिकारियों की खूब रूचि रही है वही अब करोड़ो रूपये के मुआवाजा पाने की चाहत रखने वाले सभी चरणजीत सिंह के खिलाफ पुलिस ने कार्यवाही शुरू कर दी है ?